Tuesday, June 30, 2020

चीनी वस्तुओं और चीनी समाचार पत्र ग्लोबल टाइम्स के विरुद्ध प्रदर्शन

 आज की दिल्ली, योगराज शर्मा ।

वर्किंग जॉर्नलिस्ट ऑफ इंडिया संबंद्ध भारतीय मजदूर संघ के दिल्ली इकाई के तत्वाधान में प्रेस क्लब, नई दिल्ली के पास चीनी वस्तुओं और चीनी समाचार पत्र ग्लोबल टाइम्स के विरुद्ध प्रदर्शन किया गया। इसमें भारतीय मजदूर संघ के क्षेत्रीय संगठन मंत्री पवन कुमार, दिल्ली प्रदेश के संगठन मंत्री ब्रजेश कुमार, दिल्ली प्रदेश के महामंत्री अनीश मिश्रा, वर्किंग जॉर्नलिस्ट ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय महासचिव नरेंद्र भंडारी,  उपाध्यक्ष संजय उपाध्याय, वोर्किंड जॉर्नलिस्ट ऑफ इंडिया के दिल्ली इकाई के प्रमुख नेता देवेंद्र सिंह तोमर, नरेश शर्मा, अशोक धवन, सुदीप सिंह, प्रोमोड गोस्वामी, पवन जुनेजा, और कई गणमान्य पत्रकार शामिल हुए।  इस रोष प्रदर्शन में चीनी राष्ट्रपती सी जिंग पिंग, ग्लोबल टाइम्स, और चीनी एप्प्स के खिलाफ विरोध दर्ज कराते इनके फ़ोटो पर कालिख पोटो गई, जूते मारे गए और इनके खिलाफ नारेबाजी की गई। चीन के खिलाफ बोलते हुए श्री  पवन कुमार ने कहा कि चीन खिलाफ पूरा देश एकजुट है। चीन की इस कयराना हरकत के लिए उसको दंडित किया जा रहा है और हर तरह से माकूल जबाब दिया जा रहा है। उन्होंने पी टी आई के रेपोटेर द्वारा किया गया चीनी राजदूत के साक्षात्कार की भर्त्सना की और देश में छुपे गद्दारों को भी सबक सिखाने की नसीहत दी। महामंत्री अनीश मिश्र ने चीनी वस्तुओं का पूर्णरूपेण बहिस्कार करने का आह्वाहन किया। राष्ट्रीय उपाध्यक्ष संजय उपाध्याय ने कहा कि चीन ऐसा सांप है जिसको कितना भी दूध पिलाओ अंततः डसेगा हीं। चीन के घुटने टेकने तक इसका पूरा पूरा बहिष्कार किया जाएगा। राष्ट्रीय महासचिव नरेंद्र भंडारी ने ग्लोबल टाइम्स को खूब खरी कोटी सुनाई और देश के मीडिया में छुपे गद्दारों को भी सबक सीखने की सलाह दी।
इस कार्यक्रम की सफल आयोजन पर दिल्ली इकाई के प्रमुख देवेंद्र तोमर, नरेश शर्मा, सुदीप सिंह, अशोक धवन और अन्य सदस्यों की प्रशंसा की गई।
विशेष जानकारी के लिए संपर्क-8700635881 (संजय उपाध्याय-राष्ट्रीय उपाध्यक्ष)

Friday, June 19, 2020

INTERNATIONAL YOGA DAY | 21 JUNE YAGA DAY PREPARATIONS IN MEWAT | THE 24...

“भारत युद्ध नही चाहता लेकिन जरूरी होने पर मुहतोड़ जवाब देंगे”: इंद्रेश कुमार


श्रीराम जन्मभूमि, धारा 370 , समान नागरिक संहिता , ट्रिपल तलाक और एन आर सी से आगे के मुद्दे भी हल होंगे |

नई दिल्ली। भारत हमेशा से विश्व शांति का पक्षधर रहा है। हम युद्ध नही चाहते लेकिन यदि हमें विवश किया जाएगा तो मुहतोड़ जवाब अवश्य देंगे। भारत और भारत की संस्कृति विश्व वन्धुत्व और सद्भाव में विश्वास करती है। हमारे सद्भाव को यदि कोई हमारी कमज़ोरी समझता है तो यह उसकी भूल है।

ये उद्गार हैं आरएसएस की राष्ट्रीय परिषद के सदस्य और नवभारत फ़ाउंडेशन के मार्गदर्शक  इंद्रेश कुमार जी के। वह फ़ाउंडेशन द्वारा आयोजित वेबिनार यानी तरंग सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। चिंतन से समाधान , श्रीराम जन्मभूमि, धारा 370, समान नागरिक संहिता, एनआर सी जैसे जटिल मुद्दों को सुलझाने और इन विषयों के आगे की चुनौतियों पर विमर्श के लिए आयोजित इस सम्मेलन में देश भर से सैंकड़ो विद्वान, विशेषज्ञ, सैन्य एवं प्रशासनिक अफसर, शिक्षक, पत्रकार, एवं अन्य लोग शामिल थे।

इंद्रेश कुमार ने कहा कि , " सांप्रदायिक कूटनीति के कारण मुद्दे भटकते हैं और हिंसा की ओर जाते हैं | अनुच्छेद 370 का हटना भारत की एकता -अखंडता का प्रतीक है और एक भारत -एक संविधान के सपने को साकार करता है |"  कोरोना महामारी को " मानव निर्मित एवं चीन की छाप वाली " बताते हुए देशवासियों से अपील की कि "अपने गरीब बहनों -भाइयों की मदद करें |" समाज की तालाबंदी में भी सावधानी की दात दी पर जोड़ा कि " तब्लीगी जमात जैसे वाक्यों से संक्रमण में तेज़ी आयी , और हमें ऐसा नहीं करना है |" उन्होंने तीन बिंदुओं को विशेष रूप से  रेखांकित किया , "आत्मनिर्भरता , सर्वधर्मसमभाव एवं सभी मनुष्यों को बराबरी के अधिकार" |

डॉ के के मोहम्मद , पूर्व क्षेत्रीय निर्देशक , भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण , ने बताया किस तरह " कुछ इतिहासकारों ने राम मंदिर के मुद्दे को भटकाने का काम किया |" उनहोंने यह भी कहा की , " जो विषय क्षेत्र एक पुरातत्व विशेषज्ञ का है वहां इन इतिहासकारों को ऐसे हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं  था |"

प्रोफ राकेश कुमार उपाध्याय , चेयर प्रोफेसर , कशी विश्वविद्यालय बोले ," अयोध्या में मिले सबूतों के प्रकाश में ,रोमिला थापर और इरफ़ान हबीब जैसे वामपंथी इतिहासकारों को देश से क्षमा मांगनी चाहिए कि उन्होंने इतने समय तक राम मंदिर विषय को सांप्रदायिक रंग देकर भटकाने का कार्य किया |"

श्रीमती माधवी भूटा , भा ज पा नेता , ने अनुच्छेद को " दलित एवं महिला अधिकारों के विरूद्व " बताया | कहा कि , " मज़दूरी करने के  बाद भी बराबरी के नागरिक होने का दर्जा नहीं मिलता था  कश्मीर में दलितों को |

 संसद ,श्री हंस राज हंस ने कहा की , " आदरणीय प्रधान मंत्री मोदी जी सबका साथ -सबका विकास -सबका विश्वास  के लक्ष्य के लिए दिन रात  कार्य कर रहे हैं |

हरियाणा सरकार के डी जी , क्राइम , डॉ के पी सिंह ने " सीएए"   को "प्रताड़ित अल्पसंख्यकों को उनकी पहचान दिलाने वाला कदम " बताया | और पूर्व सरकारों की तुलना में वर्तमान सरकार की ठोस नीतियों की सराहना की |

बायकाट सलमान जैसे ट्रेडिंग हैशटैग से वर्तमान खबरों में आने वाले दबंग जैसे फ़िल्म के फेम, डायरेक्टर-राइटर श्री अभिनव सिंह कश्यप जी ने कहा कि देश का भविष्य युवा और शांति के रास्ते मे हैं और दोनों को सुरक्षित करने के लिए अनुकूल वातावरण बनाने की जरूरत है.

 नव भारत फ़ाउंडेशन की राष्ट्रीय महामंत्री  प्रसिद्ध समाज सेविका रेशमा एच सिंह जी ने कहा कि "जरूरत है कि हम सार्थक संवाद के सभी अवरोधकों की पहचान करें और उन सांप्रदायिक ताक़तों की पहचान करें जो भारत को गलत दिशा में ले जा रहे हैं.ऐसा करना समाधान की और पहला कदम होगा.

लोकसभा के पूर्व सांसद कुंवर भारतेंद्र सिंह जी ने सरकार और सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को साहसिक कदम बताते हुए सराहना की.अन्य गणमान्य वक्ताओं में भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महामंत्री जितेंद्रानंद सरस्वती जी,पॉन्डिचेरी विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ गुरमीत सिंह जी,डीडी न्यूज़ के वरिष्ठ पत्रकार अशोक श्रीवास्तव जी,सिर्फ न्यूज़ के मुख्य संपादक श्री सुरजीत दास गुप्ता जी,ऐवीसीएम;पीवीसीएम रिटायर्ड एयर मार्शल आरसी बाजपाई शामिल थे.

बीएचयू वाराणसी,दिल्ली विश्वविद्यालय,जामिया विश्वविद्यालय और आईआईटी दिल्ली जैसे देश के शीर्ष संस्थानों के विद्यार्थियों ने प्रश्नोत्तर सत्र में भाग लिया.विद्यार्थी के प्रश्नों का जवाब पूर्व सांसद और एडिशनल सॉलिसिटर जनरल सीनियर अधिवक्ता सत्यपाल जैन जी,अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति मो०शब्बीर जी,उत्तर प्रदेश के पूर्व आईपीएस डाक्टर विक्रम सिंह,उत्तर प्रदेश शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन शैयद वसीम रिज़वी जी ने दिया.

अन्य गणमान्य अतिथियों में फैंस के अध्यक्ष लेफ्टिनेंट जनरल डॉ आर एन सिंह (पीवीएसएम, एवीएसऍम,पूर्व-DG आर्मी),संस्कृति पर्व के संपादक संजय तिवारी जी,सीनियर अधिवक्ता वरुण सिन्हा जी,काशी से पातालपुरी पीठाधीश्वर महंत बालक दास जी,एकल विद्यालय के प्रमुख सुमन चंद्र धीर जी उपस्तिथ थे।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य माननीय इंद्रेश कुमार जी के मार्गदर्शन में कार्यक्रम की संरचना और संयोजन का कार्य श्रीमती रेशमा एच सिंह जी ने किया.कार्यक्रम के समन्वयक और सह संयोजक का काम विक्रमादित्य सिंह जी ने किया.

कार्यक्रम में "श्री राम जन्मभूमि :चिन्तन से समाधान"नामक ई-बुक का भी विमोचन किया गया.

कार्यक्रम के अंत में नव भारत फ़ाउंडेशन के अध्यक्ष लेफ्टिनेंट जनरल के जे सिंह जी (एवीएसएम,पीवीएसएम एवं बार )रिटायर्ड.के नेतृत्व में हाल ही दिनों में चीनी सैनिकों से लड़ाई में भारतीय सेना के शहीद जवानों को मौन रहकर श्रद्धांजलि दी गयी.

कार्यक्रम की पूरी रिपोर्ट और ई -बुक आप नव भारत फ़ाउंडेशन के वेबसाइट (www.navbharatfoundation.org)पर जाकर प्राप्त कर सकते हैं.

होम्याेपैथी की मीठी दवा से कोराेना काे दी कड़वी डोज - मनोज जैन


नई दिल्ली : कोरोना से जंग के बीच सहयोग दिल्ली संस्था के अध्यक्ष मनोज जैन दिल्ली के विभिन्न इलाकों में कोरोना से बचाव की दिशा में आर्सेनिक एल्बम 30 दवा का निशुल्क वितरण कर रहे हैं। दिल्ली के कई इलाकों में यह दवा बांटी। उनका कहना है कि होम्योपैथी की यह मीठी दवा कोरोना महामारी के लिए कड़वी डोज बन रही है। इसके सेवन से कोरोना संक्रमण रोकने में खासी मदद मिल रही है।
 मनोज जैन बताते हैं कि इन दिनों में उन्होंने लगभग 2200 परिवारों को यह दवाई बांटी जिससे करीब 13 हजार लोग लाभान्वित हुए। उन्होंने यह भी कहा कि बेशक यह महामारी विदेश से आई है लेकिन भारत की वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति में इसका भी उपचार है। होम्यापैथी की इस दवा, नियमित योग और प्राणायाम तथा संक्रमण से बचाव के उपाय अपनाते हुए चला जाए तो इस बीमारी पर जल्द ही काबू पा लिया जाएगा।

Wednesday, June 17, 2020

K.B.Singh Advocate & Management Consultant


Sanchhipt Jeevan Parichay.K.B.Singh Advocate & Management Consultant Delhi High Court and Supreme Court of India New Delhi
Enrollment No D/579-B/1991
Mobile no+919899220386
Email address singhkb451@gmail.com
Ch.No 539 Lawyers Chamber Block District Court Complex Sector 10 Dwarka New Delhi-75
Education- B.A.LLB from University of Allahabad
Joined Legal Practice In the year 1991 & continued till now
Matters dealing- Civil Creminal & Corporates from District Courts upto appeallate Courts
Appointed as Legal Advisor- 1- Mumbai Global News paper Mumbai
2- Shubh Ashta Foundation Mumbai & Delhi
3- Roshani Tapasya Rehabilitation center New Delhi
4-Informatic Sahkari Awas Samiti Ltd Noida
5-Indian National Trade Union Congress INTUC New Delhi
6- Polliwood Star News paper New Delhi
7- Holkar Vaishali News Papar/ Magazine New Delhi
8-Rastriya Patrakar Mahasangh NMC New Delhi
9- National Legal Advisor Anti Corruption Foundation of India
10- Regional President North India of International Advocate Welfare Organisation (India)
Awarded by
Polliwood News Star-
 - As a Social and Eminent Advocate
1- in the year 2012 on the occasion of Birthday's Cirmoney of Sonia Gandhi at Press Club of India by Sh.Harish Rawat ji Ex C.M. Uttarakhand
2- In the year 2013 on the occasion of Birthday's Cirmoney of Late Sh.Rajeev Gandhi Ex Prime Minister of India at Press Club of India New Delhi by Dr.Yogender Makwana Ex Grih Rajya Mantri Central Govt of India

3-In the year 2014 on the occasion of Birthday's Cirmoney of Sh.Man Mohan Singh Ex Prime Minister of India by Sh.Askar Farnandees Ex Labour Minister Central Govt of India
4-In the year 2015 on the occasion of Birthday's Cirmoney of Late Sh.Atal Bihari Bajpayee Ex Prime Minister of India by Sh.Shreepad Esu Naik  Ex Grih Rajya Mantri Central Govt.of India
5- Samman & Salam Award at Constitution Club of India by Sh.M.S.Bitta President of  Anti Terrist Association
5- Guest of Houner Award on 08-03-2020 on the occasion of International Women's Day at Karnal Haryana organised by Sh.Narender Arora ji National President Anti-Corruption Foundation of India

Saturday, June 13, 2020

दिल्ली-कटरा एक्सप्रेस वे में अमृतसर को पुनः शामिल करने पर 'जागो' पार्टी ने मोदी का किया धन्यवाद


जत्थेदार के ब्यान पर बादलों की चुप्पी रहस्यमय: जीके

नई दिल्ली (13 जून 2020) खालिस्तान के मसले पर जत्थेदार श्री अकाल तख्त साहिब के द्वारा दिए गए ब्यान पर शिरोमणी अकाली दल के बड़े नेताओं की चुप्पी पर 'जागो' पार्टी ने सवाल उठाए है। साथ ही खालिस्तान के मामले को उभारने के पीछे अकाली दल की मंशा का भी खुलासा किया है। पार्टी के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष मनजीत सिंह जीके ने  दिल्ली-कटरा एक्सप्रेस वे में अमृतसर को पुनः शामिल करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का धन्यवाद करते हुए श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह के द्वारा 6 जून 2020 को श्री दरबार साहिब परिसर, अमृतसर में ऑपरेशन ब्लू स्टार की बरसी मौके  मीडिया को खालिस्तान के हक में दिए गए ब्यान के पीछे अकाली दल के नेताओं की सिखों पर अपनी पकड़ बनाने की सोच होने का भी दावा किया हैं। 

जीके ने कहा कि सिखों में अपना आधार खो चुके अकाली नेताओं को अब शिरोमणी गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के आगामी चुनाव को हारने का डर सता रहा हैं। अकाली दल के सरप्रस्त प्रकाश सिंह बादल का अतीत शुरू से ही सिख भावनाओं को भड़का कर अपनी सियासी जमीन तैयार करने वाला रहा है। चाहे वो 1978 में निरंकारीयों के खिलाफ सिखों को लामबंद करने के बाद 13 सिखों की हत्या करवा कर बाद में निरंकारी प्रमुख के बरी होने में बड़ी भूमिका निभाने का हो या जून 1984 में श्री दरबार साहिब पर हुए हमले के वक्त अपने साथियों को हाथ खड़े करवा करके बाहर लाने के बाद फौज में कार्य करते सिखों को भड़का करके उन्हें बैरकों को छोड़ने के लिए उकसाने का हो। बादल की भूमिका हमेशा सिखों को उकसा व मरवा कर उस पर अपनी सियासत चमकाने की रहीं हैं। इसलिए जत्थेदार के ब्यान पर बादलों की चुप्पी साधारण बात नहीं हैं।

जीके ने कहा कि अकाली दल के 2017 के पंजाब विधानसभा तथा 2019 के लोकसभा चुनाव मोदी लहर होने के बावजूद बुरी तरह हारने के पीछे सिखों का अकाली दल से मोहभंग होना बड़ा कारण था। बादल परिवार को इस बात का साफ अंदेशा हैं कि यदि शिरोमणी कमेटी के चुनाव जल्दी हुए तो उनकी पार्टी का सूपड़ा साफ हो जाएगा। इसी बात को समझते हुए बादल परिवार की तरफ से जत्थेदार से वो बात मीडिया के सामने कहलवाई गई लगती हैं, जो कि जत्थेदार द्वारा कुछ देर पहले श्री अकाल तख्त साहिब की प्राचीर से दिए गए भाषण का हिस्सा नहीं थी और साथ ही उस ब्यान का समर्थन शिरोमणी कमेटी के अध्यक्ष गोबिंद सिंह लोंगोवाल से करवाया गया। क्योंकि जत्थेदार के द्वारा कौम के नाम संदेश के बाद शिरोमणी कमेटी अध्यक्ष के साथ मीडिया को संबोधित करने का इतिहास भी नहीं रहा है, इसलिए दाल में कुछ काला लगता है।एक बात ओर जो शंका पैदा करती है, वो अमृतसर प्रशासन के द्वारा जत्थेदार के मीडिया संबोधन का निमंत्रण शिरोमणी कमेटी से पहले जारी करना है। लेकिन इतने बड़े मसाले पर अकाली दल के बड़े नेता अभी तक चुप हैं। हैरानी इस बात पर भी हैं कि जत्थेदार ने भारत सरकार के सिख विरोधी होने की बात कहीं थी, पर केंद्रीय मंत्री होने के बावजूद हरसिमरत कौर बादल ने जत्थेदार के ब्यान पर कोई प्रतिक्रिया अभी तक नहीं दी है।

जीके ने केंद्र सरकार द्वारा दिल्ली से कटरा तक बनाए जा रहे एक्सप्रेस वे में अमृतसर तथा अन्य सिख गुरुधामों को शामिल करने की दी गई मंजूरी के लिए मोदी का धन्यवाद करते हुए बताया कि कांग्रेस की पंजाब सरकार ने पहले से प्रस्तावित रूट को बदलकर अमृतसर शहर को हटा दिया था। पर अब दुबारा से सिख भावनाओं की कद्र करते हुए केंद्र सरकार ने एक्सप्रेस वे के रूट में संशोधन करके शानदार कार्य किया है। अब नए रूट के साथ दिल्ली के सिख श्रद्धालु 5 सिख गुरूधामों सुलतानपुर लोधी, गोइंदवाल साहिब, खडूर साहिब, तरनतारन व अमृतसर के दर्शन इस एक्सप्रेस वे की सहायता से कर सकेंगे। साथ ही श्री करतारपुर साहिब काॅरिडोर से पाकिस्तान जाने के इच्छुक श्रद्धालुओं को भी यह डेरा बाबा नानक तक पहुँचाएगा। तिलक और जनेऊ की रक्षा के लिए शहादत देने वाले गुरु तेग बहादर साहिब के 400वें प्रकाश पर्व के मौके गुरु साहिब के महान तप स्थान बाबा बकाला साहिब तक पहुँचना भी सिख श्रद्धालुओं के लिए इस एक्सप्रेस वे के जरिए सुगम हो जाएगा। दिल्ली की संगत के लिए यह नायाब तोहफा है, जो गुरुघर जाने में समय व संसाधन दोनों बचाएगा।

बेहतरीन इंतजाम से भगवान के दर्शन आसान भी और करोना सुरक्षित भी


नई दिल्ली, आकाश जिंदल।  करोना संकट के समय कैसे भगवान के दर्शन भी हो और हम करोना सुरक्षित भी रहे ये उदाहरण साबित किया है रोहिणा सेक्टर 16 के श्री सिद्ध काली शिव मंदिर में। जहां मंदिर समिति, पुजारियो और सेवकों ने मंदिर मे ऐसी व्यवस्था कि ही के गेट पर ही ईश्वर दर्शन सुलभ हो जाते है जिससे सोशल डिस्टेंसिंग भी बनी हुई है और दर्शनो के लिए कोई भीड या धक्कामुक्की भी नही होती। इस विषय मे जानकारी देते हुए मंदिर प्रबंधकों ने आकाश जिंदल को बताया कि हर शनिवार को मां काली मंदिर में भक्तो की लंबी कतारें लगती थी, लेकिन अब करोना काल में जो नियम सरकार द्वारा बनाए गए है उनको पालन करते हुए मंदिर में आसानी से कैसे मां काली, शिव व अन्य देवी देवताओ की प्रतिमाओं के दर्शन हो, पूरा इंतजाम किया गया है। 

Wednesday, June 10, 2020

HP ने लॉन्च किए नए Always Connected लैपटॉप्स, जानिए कीमत और फीचर्स

आज की दिल्ली / इंडियन न्यूज़ ऑनलाइन :

नई दिल्ली, टेक डेस्क। HP ने  भारत में पर्सनल कंप्यूटर के पोर्टफोलियो में कुछ नए लैपटॉप जोडे़ हैं। यह लैपटॉप हैं HP 14s और HP Pavilion X360 14 Notebook. यह दोनों लैपटॉप कंपनी के नए 'Always Connected' PC पोर्टफोलियो के तहत आएंगे। दोनों लैपटॉप में 10th जेनेरेशन Intel Mobile Processors और 4G LTE कनेक्टिविटी वाले होंगे। अगर कीमत की बात करें, तो HP 14s का Interl i3 Core प्रोसेसर वाला लैपटॉप 44,999 रुपए मेंआएगा। वहीं, Intel Core i5 प्रोसेसर वाला लैपटॉप 64,999 रुपए में आएगा। Core i3 वेरिएंट में 4GB रैम मिलेगा, जबकि Core i5 वेरिएंट 8GB रैम के साथ आएगा।
HP Pavilion X360 14 Notebook (2020) की भारत में शुरुआती कीमत 84,999 रुपए होगी। इसकी बिक्री एक जुलाई से शुरू होगी। कंपनी की तरफ से लैपटॉप के लॉन्च ऑफर के तहत HP Notebook पर Jio नेटवर्क पर रोजाना 6 माह तक फ्री (1.5GB) डाटा दिया जा रहा है। साथ ही ग्राहकों को  jio डाटा प्लान पर पहले 6 माह तक 30 फीसदी डिस्काउंट दिया जाएगा।
HP 14s (2020) स्पेसिफिकेशन
HP 14s लैपटॉप में आपको अल्ट्रा-मोबाइल डिजाइन मिलेगी। इमसें 10th जेनेरेशन intel Core i5 मोबाइल प्रोसेसर का इस्तेमाल किया गया है। इसे बनाने में Intel XMM 7360 4G LTE6 का इस्तेमाल किया गया है, जो लैपटॉप को फास्ट और सिक्योर कनेक्टेड सॉल्यूशन देता है। यह प्रोसेसर Intel UHD ग्रॉफिक्स और 8GB का DDR4-2666 SDRMM सपोर्ट के साथ आता है। इसके साथ ही स्टोरेज ऑप्शन के तौर पर 1TB 5400rpm SAta HDD और 256GB PCIe NVMe M.2 SSD मिलेगा। Notebook में 14 इंच की माइक्रो-एज फुल एचडी (1080p) IPS डिस्पले मिलेगी, जो Ultra-narrow बेजेल के साथ आएगी। नोटबुक में True Vision 720p HD कैमरा मिलेगा। इसमें फुल साइज island-type की-बोर्ड और Touchpad मिलेगा। लैपटॉप में थ्री-सेल 41Wh लीथियम ऑयन बैटीर मिलेगी। कंपनी का दावा है कि सिंगल चार्ज में 9 घंटे की बैटरी लाइफ मिलेगी।
HP Pavilion x360 14 (2020) स्पेसिफिकेशन
HP Pavilion x360 14 में भी  नए 10th Gen Intel प्रोसेसर के साथ ही Intel के ही Iris Plus ग्राफिक्स का यूज किया गया है। यह डिवाइस 4G LTE सिम-स्लॉट के साथ आएगी, जो सिक्योर कनेक्टिविटी देगी। नया Pavilion x360 14 स्पोर्ट्स में एक 14 इंच की फुल एचडी (1080p)  डिस्पले मिलेगी। जिसका स्क्रीन टू बॉडी रेश्यो 82.47% होगा। HP का दावा है कि नए Pavilion x360 14 में 11 घंटे की बैटरी लाइफ मिलेगी।
जानिए, क्या होते हैं Always Connected PC?
Always Connected PC साधारण तौर पर Window 10 डिवाइस होते हैं, जो eSIM और 4G LTE सपोर्ट वाले होते हैं। इसमें ऐप्स को आसानी से रन किया जा सकता है। इतना ही नहीं, इसमें आपको दमदार बैटरी लाइफ के साथ कूलर परफॉर्मेंस मिलता है। Always Connected PC इसका इस्तेमाल काफी आसान  होता है। साधारण शब्दों में कहें, तो always Connected PC में मोबाइल जैसा एक्सपीरियंस मिलता है।

जो बाइडन क्या डोनाल्ड ट्रंप को हरा कर अमरीका के अगले राष्ट्रपति बन पाएंगे?

आज की दिल्ली :



जो बाइडन को दुनिया के सबसे तजुर्बेकार राजनेताओं में से एक माना जाता है. लेकिन, वो अपने भाषणों में भयंकर ग़लतियां करने के लिए भी कुख्यात हैं.
हालांकि, डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से अमरीकी राष्ट्रपति चुनाव के उम्मीदवार चुने गए बाइडन के बारे में आपके लिए बस इतना जानना पर्याप्त है कि वो इस साल नवंबर में होने वाले चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी के प्रत्याशी डोनाल्ड ट्रंप को चुनौती देंगे.
जो बाइडन वो इंसान हैं, जो अमरीका की सत्ता के केंद्र व्हाइट हाउस में डोनाल्ड ट्रंप के अगले चार बरस बिताने के ख़्वाब की राह में खड़ी इकलौती बाधा हैं.
बराक ओबामा के शासन काल में उप-राष्ट्रपति रहे बाइडन को औपचारिक रूप से डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से नवंबर में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव का प्रत्याशी चुन लिया गया है.
अपने समर्थकों के बीच में जो बाइडन, विदेश नीति के विशेषज्ञ के तौर पर मशहर हैं. उनके पास वॉशिंगटन डी. सी. में राजनीति करने का कई दशकों का तजुर्बा है. वो मीठी ज़ुबान बोलने वाले नेता के तौर पर मशहूर हैं, जो बड़ी आसानी से लोगों का दिल जीत लेते हैं. बाइडन की सबसे बड़ी ख़ासियत ये है कि वो बड़ी सहजता से आम आदमी से नाता जोड़ लेते हैं. अपनी निजी ज़िंदगी में बाइडन ने बहुत से उतार चढ़ाव देखे हैं और बहुत सी त्रासदियां झेली हैं.
वहीं, विरोधियों की नज़र में जो बाइडन ऐसी शख़्सियत हैं, वो अमरीकी सत्ता में गहरे रचे बसे इंसान हैं, जिनमें कमियां ही कमियां हैं. बाइडन के बारे में उनके विरोधी कहते हैं कि वो अपने भाषणों में झूठे दावे करते हैं. साथ ही उनकी एक और आदत को लेकर भी अक्सर चिंता जताई जाती है कि उन्हें महिलाओं के बाल सूंघने की बुरी लत है.
बड़ा सवाल ये है कि क्या बाइडन में वो ख़ासियत है कि वो नवंबर के राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप को व्हाइट हाउस से बाहर का रास्ता दिखा सकें?

तेज़ वक्ता

जो बाइडन का चुनाव प्रचार से बड़ा पुराना नाता रहा है. अमरीका की संघीय राजनीति में उनके करियर की शुरुआत, आज से 47 बरस पहले यानी 1973 में सीनेट के चुनाव से हुई थी. और उन्होंने राष्ट्रपति चुनाव में भागीदारी के लिए पहला दांव आज से 33 साल पहले चला था.
ऐसे में अगर ये कहें कि बाइडन के पास वोटर को लुभाने का क़ुदरती हुनर है, तो ग़लत नहीं होगा. मगर, बाइडन के साथ सबसे बड़ा जोखिम ये है कि वो कभी भी कुछ भी ग़लत बयानी कर सकते हैं, जिससे उनके सारे किए कराए पर पानी फिर जाए.
जनता से रूबरू होने पर जो बाइडन अक्सर जज़्बात में बह जाते हैं. और इसी कारण से राष्ट्रपति चुनाव का उनका पहला अभियान शुरू होने से पहले ही अचानक ही ख़त्म हो गया था (बाइडन तीसरी बार राष्ट्रपति बनने का प्रयास कर रहे हैं).
जब 1987 में बाइडन ने राष्ट्रपति चुनाव में प्रत्याशी बनने के लिए पहली बार कोशिश करनी शुरू की थी, तो उन्होंने रैलियों में ये दावा करना शुरू कर दिया था कि, 'मेरे पुरखे उत्तरी पश्चिमी पेन्सिल्वेनिया में स्थित कोयले की खानों में काम करते थे.' और बाइडन ने भाषण में ये कहना शुरू कर दिया कि उनके पुरखों को ज़िंदगी में आगे बढ़ने के वो मौक़े नहीं मिले जिसके वो हक़दार थे. और बाइडन ये कहा करते थे कि वो इस बात से बेहद ख़फ़ा हैं.
मगर, हक़ीक़त ये है कि बाइडन के पूर्वजों में से किसी ने भी कभी कोयले की खदान में काम नहीं किया था. सच तो ये था कि बाइडन ने ये जुमला, ब्रिटिश राजनेता नील किनॉक की नक़ल करते हुए अदा किया था (इसी तरह बाइडन ने कई अन्य नेताओं के बयान अपने बना कर पेश किए थे). जबकि नील किनॉक के पुरखे तो वाक़ई कोयला खदान में काम करने वाले मज़दूर थे
और ये तो बाइडन के तमाम झूठे जुमलों में से महज़ एक था. उनके ऐसे बयान अमरीकी राजनीति में 'जो बॉम्ब' के नाम से मशहूर या यूं कहें कि बदनाम हैं.
2012 में अपने राजनीतिक तजुर्बे का बखान करते हुए बाइडन ने जनता को ये कह कर ग़फ़लत में डाल दिया था कि, 'दोस्तो, मैं आपको बता सकता हूं कि मैंने आठ राष्ट्रपतियों के साथ काम किया है. इनमें से तीन के साथ तो मेरा बड़ा नज़दीकी ताल्लुक़ रहा है.' उनके इस जुमले का असल अर्थ तो ये था कि वो तीन राष्ट्रपतियों के साथ क़रीब से काम कर चुके हैं. मगर इसी बात को उन्होंने जिन लफ़्ज़ों में बयां किया, उसका मतलब ये निकलता था कि उनके तीन राष्ट्रपतियों के साथ यौन संबंध रहे थे.
जब बराक ओबामा ने जो बाइडन को अपने साथ उप-राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाया, तो बाइडन ने ये कह कर लोगों को डरा दिया था कि इस बात की तीस फ़ीसद संभावना है कि ओबामा और वो मिलकर अर्थव्यवस्था सुधारने में ग़लतियां कर सकते हैं.
जो बाइडन को क़िस्मत का धनी ही कहा जा सकता है कि उन्हें अमरीका के पहले काले राष्ट्रपति ने अपना उप-राष्ट्रपति बनाया था. क्योंकि, इससे पहले बाइडन ने ओबामा के बारे में ये कह कर हलचल मचा दी थी कि, 'ओबामा ऐसे पहले अफ्रीकी मूल के अमरीकी नागरिक हैं, जो अच्छा बोलते हैं. समझदार हैं. भ्रष्ट नहीं है और दिखने में भी अच्छे हैं.
अपने इस बयान के बावजूद, इस बार के राष्ट्रपति चुनाव के प्रचार अभियान के दौरान, जोसेफ बाइडन अमरीका के अफ्रीकी-अमरीकी समुदाय के बीच बहुत लोकप्रिय हैं. लेकिन, हाल ही में एक काले होस्ट के साथ चैट शो के दौरान जो बाइडन ने ऐसा कुछ कह दिया था जिससे बहुत बड़ा हंगामा खड़ा हो गया था. काले अमरीकी होस्ट शार्मलेन था गॉड के साथ बातचीत में बाइडन ने दावा किया था कि, 'अगर आपको ट्रंप और मेरे बीच चुनाव करने में समस्या है, तो फिर आप काले हैं ही नहीं.'
बाइडन के इस इकलौते मुंहफट बयान से अमरीकी मीडिया में तूफ़ान सा आ गया था. जिसके बाद बाइडन के प्रचार अभियान की कमान संभाल रही टीम को लोगों तक ये संदेश पहुंचाने में बड़ी मशक़्क़त करनी पड़ी थी कि बाइडन, अफ्रीकी-अमरीकी मतदाता को हल्के में बिल्कुल नहीं ले रहे हैं.
जो बाइडन के ऐसे बेलगाम बयानों के कारण ही न्यूयॉर्क मैग़ज़ीन के एक पत्रकार ने लिखा था कि, 'बाइडन की पूरी प्रचार टीम बस इसी बात पर ज़ोर दिए रहती है कि कहीं वो कोई अंट-शंट बयान न दे बैठें.'

प्रचार अभियान के पुराने तजुर्बेकार

यूं तो बाइडन एक अच्छे वक्ता हैं. मगर, उनकी भाषण कला का एक पहलू और भी है. आज जब दुनिया में रोबोट जैसे नेताओं की भरमार है, जो सधे हुए बयान देते हैं. बस लिखा हुआ पढ़ देते हैं. लेकिन, बाइडन ऐसे वक्ता हैं जिन्हें सुन कर ऐसा लगता है कि वो दिल से बोल रहे हैं.
बाइडन कहते हैं कि बचपन में हकलाने की आदत की वजह से उन्हें टेलिप्रॉम्पटर की मदद से पढ़ना नहीं आता है. वो जो भी बोलते हैं, दिल से बोलते हैं.
जो बाइडन के भाषण में वो दिलकशी है कि वो अमरीका के ब्लू-कॉलर कामकाजी लोगों की भीड़ में अचानक अपने भाषण से जोश भर देते हैं. इसके बाद वो बड़ी सहजता से उस भीड़ का हिस्सा बन जाते हैं. लोगों से मिलते हैं. हाथ मिलाते हैं उन्हें गले लगाते हैं. लोगों के साथ सेल्फ़ी लेते है. ठीक उसी तरह जैसे कोई बुज़ुर्ग फ़िल्म स्टार हो, जो अचानक अपने फ़ैन्स के बीच पहुंच गया हो.
अमरीका के पूर्व विदेश मंत्री और राष्ट्रपति चुनाव के उम्मीदवार रहे जॉन केरी ने न्यूयॉर्कर मैगज़ीन से बातचीत में बाइडन के बारे में कहा था कि, 'वो लोगों को अपनी ओर खींच कर उन्हें गले लगा लेते हैं. कई बार तो लोग उनकी बातों से ही उनकी ओर खिंचे चले आते हैं और कई बार वो लोगों को ख़ुद ही अपने आगोश में भींच लेते हैं. वो दिल को छू लेने वाले राजनेता हैं. और उनमें कोई बनावट नहीं है. वो कोई ढोंग नहीं करते. बड़े सहज भाव से लोगों में घुल मिल जाते हैं.'

बाइडन पर लगे गंभीर आरोप

पिछले साल आठ महिलाओं ने सामने आकर ये आरोप लगाया था कि जो बाइडन ने उन्हें आपत्तिजनक तरीक़े से छुआ था, गले लगाया था या किस किया था. इन महिलाओं के आरोप लगाने के बाद कई अमरीकी न्यूज़ चैनलों ने बाइडन के सार्वजनिक समारोहों में महिलाओं से अभिवादन करने की नज़दीकी तस्वीरें दिखाई थीं. इनमें कई बार बाइडन को महिलाओं के बाल सूंघते हुए भी देखा गया था.
इन आरोपों के जवाब में बाइडन ने कहा था कि, 'भविष्य में मैं महिलाओं से अभिवादन के दौरान अतिरिक्त सावधानी बरतूंगा.'
लेकिन, अभी इसी साल मार्च महीने में अमरीकी अभिनेत्री तारा रीड ने इल्ज़ाम लगाया था कि जो बाइडन ने तीस साल पहले उनके साथ यौन हिंसा की थी. उन्हें दीवार की ओर धकेल कर उनसे ज़बरदस्ती करने की कोशिश की थी. उस वक़्त तारा रीड, बाइडन के ऑफ़िस में एक सहायक कर्मचारी के तौर पर काम कर रही थीं.
जो बाइडन ने तारा रीड के इस दावे का सख़्ती से खंडन किया था और एक बयान जारी करके कहा था कि, 'ऐसा बिल्कुल भी नहीं हुआ था.'
अपनी पार्टी के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार का बचाव करते हुए, बाइडन के समर्थक ये कह सकते हैं कि दर्जन भर से ज़्यादा महिलाओं ने अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर सार्वजनिक रूप से यौन हिंसा करने के इल्ज़ाम लगाए हैं. पर, सवाल ये है कि क्या आप ऐसे बर्ताव का राजनीतिक विरोधी के ऐसे कृत्यों की तुलना करके जवाब दे सकते हैं?
जब से अमरीका में #MeToo आंदोलन शुरू हुआ है, तब से जो बाइडन समेत डेमोक्रेटिक पार्टी के कई नेता ज़ोर देकर ये कहते रहे हैं कि समाज को महिलाओं पर यक़ीन करना चाहिए. ऐसे में अगर बाइडन पर लग रहे ऐसे आरोपों को कम करके बताने की कोशिश होती है, तो ऐसे किसी भी प्रयास से महिला अधिकारों के लिए काम कर रहे लोगों को निराशा ही होगी.
हाल ही में एक इंटरव्यू में तारा रीड ने कहा था कि, 'बाइडन के सहयोगी मेरे बारे में भद्दी-भद्दी बातें कहते रहे हैं. और सोशल मीडिया पर भी मुझे लेकर अनाप शनाप बोल रहे हैं. ख़ुद बाइडन ने तो मुझे कुछ भी नहीं कहा. मगर, बाइडन के पूरे प्रचार अभियान में एक पाखंड साफ़ तौर पर दिखता है कि उनसे महिलाओं को बिल्कुल भी ख़तरा नहीं है. सच तो ये है कि बाइडन के क़रीब रहना कभी भी सुरक्षित नहीं था.'
जो बाइडन की प्रचार टीम ने तारा रीड के इन आरोपों का खंडन किया है.

पुरानी ग़लतियों से बचने की कोशिश

भले ही आम लोगों से बाइडन की ये नज़दीकी पहले उनके लिए मुसीबत बनती रही हो. लेकिन, इस बार उनके समर्थक ये उम्मीद कर रहे हैं कि उनका जो लोगों से नज़दीकी बनाने का ख़ास स्टाइल है, आम लोगों से जो गर्मजोशी है, उसकी मदद से वो अपनी पुरानी ग़लतियों के भंवर में दोबारा नहीं फंसेंगे. वो डेमोक्रेटिक पार्टी के पुराने राष्ट्रपति चुनाव के प्रत्याशियों जैसी ग़लती नहीं दोहराएंगे. इस बार सावधानी बरतेंगे.
जो बाइडन को अमरीका की संघीय राजनीति में काम करने का लंबा अनुभव रहा है. वो वॉशिंगटन में लंबे समय से सक्रिय रहे हैं. अमरीकी संसद के ऊपरी सदन यानी सीनेट में बाइडन ने तीन दशक से अधिक समय गुज़ारा है. इसके अलावा वो बराक ओबामा के राज में आठ साल तक उप-राष्ट्रपति रहे हैं. सियासत में इतना लंबा अनुभव काफ़ी काम आता है. मगर, हालिया इतिहास बताता है कि ऐसा हमेशा हो, ये भी ज़रूरी नहीं.
अल गोर (अमरीकी संसद के निचले सदन हाउस ऑफ़ रिप्रेज़ेंटेटिव्स में आठ साल का अनुभव, सीनेट में आठ साल का तजुर्बा और उप-राष्ट्रपति के तौर पर आठ साल का वक़्त) हों, जॉन केरी हों (सीनेट में 28 साल का अनुभव) या फिर हिलेरी क्लिंटन (देश की प्रथम महिला के तौर पर आठ वर्ष का तजुर्बा और सीनेट में आठ साल का अनुभव, विदेश मंत्री के तौर पर चार बरस का तजुर्बा), डेमोक्रेटिक पार्टी के ये सभी अनुभवी राजनेता, अपने से कम तजुर्बा रखने वाले रिपब्लिकन पार्टी के प्रत्याशी के हाथों शिकस्त खाने को मजबूर हुए.
जो बाइडन के समर्थक ये मानते हैं कि एक ज़मीनी नेता के तौर पर उनका अनुभव, उन्हें कम अनुभवी ट्रंप के हाथों परास्त होने से बचा लेगा.
अमरीका के वोटरों ने कई बार ये साबित किया है कि वो ऐसे नेताओं को राष्ट्रपति चुनने को तरजीह देते हैं, जो ये दावा करता है कि वो वॉशिंगटन की राजनीति का हिस्सा नहीं है. बल्कि, वो इसलिए राष्ट्रपति बनना चाहते हैं ताकि वो वॉशिंगटन की मौजूदा व्यवस्था को जड़ से उखाड़ फेंकें. उसमें आमूल चूल बदलाव ले आएं. अक्सर ऐसे नेता अमरीकी जनता को पसंद आते हैं, जो ख़ुद को 'आउटसाइडर' यानी वॉशिंगटन से बाहर वाला कहते हैं.
लेकिन ये एक ऐसा दावा है जो जो बाइडन क़त्तई नहीं कर सकते. क्योंकि उन्होंने अमरीका की शीर्ष राजनीति में लगभग पचास साल का वक़्त गुज़ारा है.
और, वॉशिंगटन की राजनीति में उनके लंबे तजुर्बे को बाइडन के ख़िलाफ़ चुनाव में भुनाया जा सकता है.

बाइडन का लंबा सियासी इतिहास

अमरीका के राजनीतिक इतिहास में पिछले कुछ दशकों में जो कुछ भी बड़ा उतार चढ़ाव देखने को मिला है, उसमें बाइडन किसी न किसी रूप में ज़रूर शामिल रहे हैं. और बाइडन ने इस दौरान जो भी फ़ैसले लिए हैं, वो शायद राष्ट्रपति चुनाव अभियान के दौरान उनके हक़ में काम न आएं.
1970 के दशक में उन्होंने अमरीकी बच्चों के बीच नस्लीय भेदभाव कम करने के लिए उन्हें एक साथ पढ़ाने का विरोध करने वालों का साथ दिया था. तब दक्षिण के अमरीकी राज्य इस बात के ख़िलाफ़ थे कि गोरे अमरीकी बच्चों को बसों में भर कर काले बहुल इलाक़ों में ले जाया जाए. इस बार के चुनाव अभियान के दौरान, बाइडन को उनके इस स्टैंड के लिए बार-बार निशाना बनाया गया है.
रिपब्लिकन पार्टी के उनके विरोधी अक्सर, ओबामा प्रशासन में रक्षा मंत्री रहे रॉबर्ट गेट्स के उस बयान का हवाला देत हैं, जिसमें गेट्स ने कहा था कि, 'जो बाइडन को नापसंद करना क़रीब क़रीब नामुमकिन है. मगर दिकक़्त ये है कि पिछले चार दशकों में अमरीका की विदेश नीति हो या फिर घरेलू सुरक्षा से जुड़े मसले, इन सभी मामलों में बाइडन हमेशा ग़लत पक्ष के साथ ही खड़े रहे हैं.'
अब जैसे-जैसे चुनाव का प्रचार अभियान तेज़ होगा, तो तय है कि बाइडन को ऐसे सियासी बयानों के ज़रिए निशाना बनाया जाएगा.

बाइडन की पारिवारिक त्रासदियां

ये बाइडन के लिए अफ़सोस की बात है. मगर, एक ऐसा मसला है जिस मामले में वो किसी अन्य राजनेता के मुक़ाबले अमरीकी जनता के ज़्यादा क़रीब दिखाई देते हैं. और वो है मौत.
जब, जो बाइडन, पहली बार अमरीकी सीनेट का चुनाव जीत कर शपथ लेने की तैयारी कर रहे थे, तभी उनकी पत्नी नीलिया और बेटी नाओमी एक कार हादसे में मारी गई थीं. इस दुर्घटना में उनके दोनों बेटे ब्यू और हंटर भी ज़ख़्मी हो गए थे.
बाद में ब्यू की 46 साल की उम्र में 2015 में ब्रेन ट्यूमर से मौत हो गई थी.
इतनी युवावस्था में इतने क़रीबी लोगों को गंवा देने के कारण, आज जो बाइडन से बहुत से आम अमरीकी लोग जुड़ाव महसूस करते हैं. लोगों को लगता है कि इतनी बड़ी सियासी हस्ती होने और सत्ता के इतने क़रीब होने के बावजूद, बाइडन ने वो दर्द भी अपनी ज़िंदगी में झेले हैं, जिनसे किसी आम इंसान का वास्ता पड़ता है.
लेकिन, बाइडन के परिवार के एक हिस्से की कहानी बिल्कुल अलग है. ख़ास तौर से उनके दूसरे बेटे हंटर की.

सत्ता, भ्रष्टाचार और झूठ?

जो बाइडन के दूसरे बेटे हंटर ने वकालत की पढ़ाई पूरी करके लॉबिइंग का काम शुरू किया था. इसके बाद उनकी ज़िंदगी बेलगाम हो गई. हंटर की पहली पत्नी ने उन पर शराब और ड्ग्स की लत के साथ-साथ, नियमित रूप से स्ट्रिप क्लब जाने का हवाला देते हुए तलाक़ के काग़ज़ात अदालत में दाख़िल किए थे. कोकीन के सेवन का दोषी पाए जाने के बाद हंटर को अमरीकी नौसेना ने नौकरी से निकाल दिया था.
एक बार हंटर ने न्यूयॉर्कर पत्रिका के साथ बातचीत में माना था कि एक चीनी ऊर्जा कारोबारी ने उन्हें तोहफ़े में हीरा दिया था. बाद में चीन की सरकार ने इस कारोबारी के ऊपर भ्रष्टाचार के आरोपों की जाँच की थी.

अपनी निजी ज़िंदगी का हंटर ने जैसा तमाशा बनाया उससे बाइडन को काफ़ी सियासी झटके झेलने पड़े हैं. अभी पिछले ही साल हंटर ने दूसरी शादी एक ऐसी लड़की से की थी, जिससे वो महज़ एक हफ़्ते पहले मिले थे. इसके अलावा हंटर की भारी कमाई को लेकर भी बाइडन पर निशाना साधा जाता रहा है.
हंटर का नशे का आदी होना एक ऐसी बात है, जिससे बहुत से अमरीकी लोगों को हमदर्दी हो सकती है. लेकिन, जिस तरह हंटर ने अक्सर मोटी तनख़्वाहों वाली नौकरियों पर हाथ साफ़ किया है. उससे ये बात भी उजागर होती है कि अगर कोई जो बाइडन जैसे किसी बड़े सियासी नेता की औलाद है, तो नशेड़ी होने के बावजूद उन्हें मोटी तनख़्वाहों वाली नौकरियां आसानी से मिल जाती हैं. उनकी ज़िंदगी नशे के शिकार किसी आम अमरीकी नागरिक की तरह मुश्किल भरी नहीं होती.

महाभियोग का भय

हंटर ने मोटी सैलेरी वाली जो नौकरियां कीं, उनमें से एक यूक्रेन में भी थी. बाइडन के बेटे की इसी नौकरी के चलते अमरीकी राष्ट्रपति ट्रंप ने यूक्रेन के राष्ट्रपति पर इस बात का दबाव बनाया था कि हंटर के ख़िलाफ़ भ्रष्टाचार के आरोपों की जाँच करें.
यूक्रेन के राष्ट्रपति को की गई इसी फ़ोन कॉल के कारण हाल ही में ट्रंप के ख़िलाफ़ महाभियोग की शुरुआत हुई थी. हालांकि, ये सियासी मुहिम ट्रंप को राष्ट्रपति पद से हटाने में नाकाम रही थी. हालांकि, ये एक ऐसा सियासी दलदल था, जिसे लेकर शायद बाइडन ये सोच रखते हों कि काश वो इस झंझट में न पड़े होते.

विदेशी मामले

कूटनीति का लंभाव अनुभव, जो बाइडन की बड़ी सियासी ताक़त है. ऐसे में विदेश से जुड़ा हुआ कोई भी सियासी स्कैंडल उन्हें ख़ास तौर से सियासी नुक़सान पहुंचाने वाला हो सकता है. जो बाइडन, पहले सीनेट की विदेशी मामलों की समिति के अध्यक्ष रह चुके हैं. और वो ये दावा बढ़ चढ़कर करते रहे हैं कि-'मैं पिछले 45 बरस में कम-ओ-बेश दुनिया के हर बड़े राजनेता से मिल चुका हूं.'
भले ही, अमरीकी मतदाताओं को बाइडन के इस दावे से तसल्ली होती हो कि उनके पास राष्ट्रपति बनने का पर्याप्त अनुभव है. लेकिन, ये कहना मुश्किल है कि उनके इस अनुभव के आधार पर कितने लोग बाइडन को राष्ट्रपति पद के लिए चुनना चाहेंगे.
उनके लंबे सियासी अनुभव की तरह ही इस मामले में भी यही कहा जा सकता है कि इस मामले में उनका मिला जुला अनुभव ही रहेगा.
जो बाइडन ने 1991 के खाड़ी युद्ध के ख़िलाफ़ वोट दिया था. लेकिन, 2003 में उन्होंने इराक़ पर हमले के समर्थन में वोट दिया था. हालांकि, बाद में वो इराक़ में अमरीकी दख़ल के मुखर आलोचक भी बन गए थे.
ऐसे मामलों में बाइडन अक्सर संभलकर चलते हैं. अमरीकी कमांडो के जिस हमले में पाकिस्तान में ओसामा बिन लादेन को मार गिराया गया था, बाइडन ने ओबामा को ये हमला न करने की सलाह दी थी.
मज़े की बात ये है कि अल-क़ायदा के नेता ओसामा बिन लादेन को जो बाइडन की कोई ख़ास परवाह नहीं थी. सीआईए द्वारा ज़ब्त किए गए जो दस्तावेज़ जारी किए गए हैं, उनके मुताबिक़, ओसामा बिन लादेन ने अपने लड़ाकों को निर्देश दिया था कि वो राष्ट्रपति बराक ओबामा को निशाना बनाएं. लेकिन, लादेन ने बाइडन की हत्या का कोई फ़रमान नहीं जारी किया था.
जबकि उस वक़्त बाइडन, अमरीका के उप-राष्ट्रपति थे. ओसामा बिन लादेन को लगता था कि, ओबामा की हत्या के बाद बाइडन को ही अमरीका की कमान मिलेगी. मगर लादेन के मुताबिक़, 'बाइडन राष्ट्रपति पद की ज़िम्मेदारियां उठाने के लिए क़त्तई तैयार नहीं थे. और अगर वो राष्ट्रपति बनते हैं तो अमरीका में सियासी संकट पैदा हो जाएगा.'
कई मामलों में जो बाइडन के ख़यालात ऐसे हैं, जो डेमोक्रेटिक पार्टी के युवा कार्यकर्ताओं से मेल नहीं खाते. डेमोक्रेटिक पार्टी के इन युवा समर्थकों को बर्नी सैंडर्स या एलिज़ाबेथ वॉरेन जैसे नेताओं के कट्टर युद्ध विरोधी विचार अधिक पसंद आते हैं. मगर, बहुत से अमरीकी नागरिकों को ये भी लगता है कि जो बाइडन कुछ ज़्यादा ही शांति दूत बनते हैं.
ये वही अमरीकी नागरिक हैं, जिन्होंने इस साल जनवरी में एक ड्रोन हमले में, ईरान के जनरल क़ासिम सुलेमानी की हत्या करने का आदेश देने पर राष्ट्रपति ट्रंप का खुल कर समर्थन किया था.
विदेश नीति से जुड़े ज़्यादातर मामलों में बाइडन का रवैया मध्यमार्गी रहा है. इससे हो सकता है कि डेमोक्रेटिक पार्टी के बहुत से कार्यकर्ताओं में जोश न भरे. लेकिन, बाइडन को लगता है कि बीच का ये रवैया अपना कर वो उन मतदाताओं को अपनी ओर खींच सकते हैं, जो अभी ये फ़ैसला नहीं कर पाए हैं कि ट्रंप और उनके बीच, वो किसे चुनें.
और नवंबर में राष्ट्रपति चुनाव के दौरान, उन्हें पसंद करने वालों को बहुत ज़ोर शोर से उनका साथ देने की ज़रूरत नहीं होगी. उन्हें बस बाइडन के हक़ में बिना कोई शोर गुल किए हुए, वोट डालना होगा.

सब कुछ या कुछ भी नहीं

चुनाव से पहले के तमाम सर्वे, व्हाइट हाउस की इस होड़ में जो बाइडन को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से पाँच से दस अंक आगे बताते रहे हैं. लेकिन, नवंबर में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव अभी भी कई महीने दूर हैं. और तय है कि अभी आगे बाइडन के लिए कई सख़्त इम्तिहान बाक़ी हैं.
दोनों ही पार्टियों के प्रत्याशी पहले ही काले लोगों के ख़िलाफ़ पुलिस की हिंसा के विरोध में अमरीका में हो रहे विरोध प्रदर्शन को लेकर टकरा चुके हैं. इसके अलावा जिस तरह से अमरीकी सरकार ने कोरोना वायरस के संकट से निपटने की कोशिश की है, उसे लेकर भी ट्रंप और बाइडन में भिड़ंत हो चुकी है.
यहां तक कि फ़ेस मास्क भी ट्रंप और बाइडन के बीच सियासी झड़प का कारण बन चुके हैं. ऐसा लगता है कि जो बाइडन कई बार सार्वजनिक रूप से मास्क पहन कर दिखने के लिए ज़रूरत से ज़्यादा प्रयास करते हैं, वहीं, राष्ट्रपति ट्रंप, मास्क पहनने से बार-बार परहेज़ करते आए हैं.
लेकिन, कई बार इमेज चमकाने की इन छोटी मोटी कोशिशों से इतर राजनीतिक चुनाव प्रचार के प्रबंधन में कई बड़ी चीज़ें दांव पर लगी होती हैं.
अगर, जो बाइडन राष्ट्रपति पद का चुनाव जीतते हैं, तो वो अपने लंबे और उतार चढ़ाव भरे राजनीतिक करियर के शिखर पर पहुंच जाएंगे. लेकिन, अगर वो चुनाव नहीं जीत पाते हैं, तो इससे वो व्यक्ति चार और वर्षों के लिए अमरीका का राष्ट्रपति बन जाएगा, जिसके बारे में बाइडन का कहना है कि, 'उसमें अमरीका का राष्ट्रपति बनने की बिल्कुल भी क़ाबिलियत नहीं है. वो एक ऐसा इंसान है, जिस पर क़त्तई भरोसा नहीं किया जा सकता है.'
आज से चार साल पहले, 2016 में जब जो बाइडन इस बात की दुविधा में थे कि राष्ट्रपति चुनाव की रेस में दाख़िल हों या नहीं, तब उन्होंने कहा था कि, 'मैं इस बात की तसल्ली लेकर ख़ुशी से मर सकता हूं कि मैं राष्ट्रपति नहीं बन सका.'

सरकार ने घटाई ब्याज दरें, नोएडा के 400 से अधिक बिल्डर्स को होगा बड़ा लाभ

आज की दिल्ली / इंडियन न्यूज़ ऑनलाइन :



नोएडा
उत्तर प्रदेश सरकार ने नोएडा के तीन विकास प्राधिकरण के पांच लाख से अधिक आवंटियों को एक बड़ी राहत देते हुए शासनादेश जारी किया है। सरकार ने इस आदेश के साथ ही नोएडा में लैंड ड्यूज की पेमेंट पर लगने वाले ब्याज की दरों में कटौती की है। ब्याज दरों में करीब 3 फीसदी की कटौती करते हुए सरकार ने नोएडा के तमाम बिल्डर्स को बड़ी राहत दी है।
सरकार के आदेश अनुसार, डिफॉल्टर होने पर लिए जाने वाले ब्याज की दर भी 3 फीसदी होगी। आदेश के अनुसार, नोएडा के प्राधिकरण साल में दो बार जनवरी और जुलाई में ब्याज दरों का निर्धारण कर सकेंगे, इसके लिए आधार के रूप में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की ब्याज दरों का इस्तेमाल किया जाएगा।

एसबीआई का एमसीएलआर होगा आधार
सरकार के मुताबिक, 3 साल के लोन के लिए एसबीआई की एमसीएलआर (मार्जिनल कॉस्ट लेंडिंग रेट्स) के साथ एक पर्सेंट एडमिनिस्ट्रेटिव एक्सपेंस जोड़ा जाएगा। इसमें जो आंकड़ा मिलेगा, उसे 0.5 तक आगे बढ़ाकर पूर्ण अंक बनाया जा सकेगा। इसका लाभ सीधे तौर पर उन लोगों को मिलेगा, जो कि आवंटी हैं।

400 बिल्डर्स को मिलेगा बड़ा लाभ
प्रमुख सचिव आलोक कुमार ने कहा कि 22 मार्च से 30 सितंबर के बीच किसी भी पेमेंट हेड पर चक्रवृद्धि ब्याज नहीं लगाया जाएगा। लेकिन अगर इस अवधि में कोई बिल्डर साधारण ब्याज के साथ भी पैसे नहीं दे पाता तो इस पूरी अवधि के लिए उसे चक्रवृद्धि ब्याज ही देना होगा। बताया जा रहा है कि इस संबंध में नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेस वे अथॉरिटी ने सरकार को प्रपोजल दिए थे, जिसे सरकार ने स्वीकार करते हुए ये शासनादेश जारी किया। सरकार के इस आदेश से नोएडा के करीब 400 बिल्डर्स को लाभ होने की उम्मीद जताई जा रही है।

Deepika Padukone के बॉडीगार्ड की कमाई जानकर उड़ जाएंगे आपके होश

आज की दिल्ली / इंडियन न्यूज़ ऑनलाइन :



नई दिल्ली: बॉडीगार्ड हर सेलिब्रिटी के जीवन में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं क्योंकि वे भीड़ भरे स्थानों में सेलेब्स की देखभाल करते हैं. दीपिका पादुकोण (Deepika Padukone) के निजी बॉडीगार्ड जलाल (Jalal) के बारे में बात करे तो वह वर्षों से दीपिका के साथ है और हमने कई महत्वपूर्ण अवसरों पर अभिनेत्री के साथ उन्हें भी देखा है. रणवीर सिंह और दीपिका पादुकोण की शादी के दौरान जलाल लड़कीवाले ब्रिगेड का नेतृत्व कर रहे थे. जलाल दीपिका के करीब है, दीपिका उन्हें अपना भाई मानती है और हर रक्षाबंधन पर राखी बांधती हैं.
इस बात से कोई इनकार नहीं कर सकता कि जलाल दीपिका पादुकोण (Deepika Padukone) के जीवन की सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. लेकिन क्या आपने कभी अनुमान लगाया है कि उनका वार्षिक वेतन क्या हो सकता है? हमारी सहयोगी वेबसाइट बॉलीवुड लाइफ डॉटकॉम में लगी एक खबर के अनुसार, 2017 में जलाल का वेतन प्रति वर्ष 80 लाख रुपये था, जिसका अर्थ है कि यह अब लगभग 1 करोड़ रुपये हो गया होगा.
वर्कफ्रंट की बात करें तो दीपिका पादुकोण को कबीर खान की फिल्म '83' में अगली बार देखा जाएगा, जिसमें मुख्य भूमिका में पति रणवीर सिंह (Ranveer Singh) भी हैं. अभिनेत्री के बारे में बात करते हुए, निर्देशक कबीर खान ने कहा था कि, 'मुझे लगता है कि तथ्य यह है कि उनके पिता, प्रकाश पादुकोण एक स्पोर्ट्स सुपरस्टार थे, जिसने उन्हें बहुत प्रभावित किया. दीपिका को यह भूमिका पसंद आई, और इसीलिए वह फिल्म करने के लिए राजी हुई. जब मैंने कहानी दीपिका को सुनाया, तो मुझे पता था कि यह एक छोटी भूमिका थी. इसलिए, मैंने दीपिका से कहा, 'बस सुनो. यदि आप इसे पसंद करते हैं, तो आप बोर्ड पर आएंगे, यदि नहीं, तो आप बोर्ड पर नहीं आएंगे. उसने फिल्म सुनी, और उसे पता था कि यह टीम और लड़कों और कपिल के बारे में है. वह स्क्रिप्ट से प्यार करने लगी और वह बोर्ड पर आ गई.'

केरल के मुख्यमंत्री पी. विजयन की बेटी वीणा की शादी मोहम्मद रियास से

आज की दिल्ली / इंडियन न्यूज़ ऑनलाइन :


केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन की बेटी वीणा टी. की शादी डेमोक्रेटिक यूथ फ़ेडरेशन ऑफ़ इंडिया के नेशनल प्रेसीडेंट पीए मोहम्मद रियास से होने जा रही है.
मोहम्मद रियास छात्र नेता हैं और वीणा बेंगलुरु की एक स्टार्टअप फ़र्म की मैनेजिंग डायरेक्टर हैं.
मोहम्मद रियास केरल के ही कोझीकोड के रहने वाले हैं और सीपीएम की स्टेट कमेटी के मेंबर हैं.
अख़बार ने सूत्रों के हवाले से लिखा है कि एक सामान्य समारोह में ये शादी 15 जून को होगी.
वीणा और रियास दोनों की ही ये दूसरी शादी है. पहली शादी से वीणा को एक बेटा है जबकि रियास दो बेटों के पिता हैं.

पूर्व सैन्य अफसरों ने कहा, राष्ट्रीय हितों के खिलाफ है भारत-चीन तनाव पर राहुल गांधी का बयान

आज की दिल्ली / इंडियन न्यूज़ ऑनलाइन :



नई दिल्लीसशस्त्रों बलों के सेवानिवृत्त अधिकारियों के एक समूह ने भारत-चीन के बीच जारी तनाव पर कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के बयान की कड़ी निंदा की। रिटायर्ड आर्मी ऑफिसरों ने राहुल के बयानों को गलत सोच से प्रभावित और राष्ट्रीय हितों के खिलाफ बताया। उन्होंने कहा कि चीन के साथ सीमा विवाद पर कांग्रेस नेता के ट्वीट और बयान उनकी अज्ञानता प्रकट करते हैं या फिर पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के जमाने में हुई ऐतिहासिक भूलों को नजरअंदाज करने की सोची-समझी रणनीति का हिस्सा हैं।

पूर्व सैन्य अधिकारियों ने राहुल पर साधा निशाना

लेफ्टिनेंट जनरल नितिन कोहली, लेफ्टिनेंट जनरल आरएन सिंह और मेजर जनरल एम श्रीवास्तव समेत 9 पूर्व आर्मी अफसरों ने एक बयान जारी किया। इसमें कहा गया, 'हम सीनियर आर्म्ड फोर्सेज वेटरंस के समूह के तौर पर गलत सोच से प्रभावित और गलत वक्त में दिए गए राहुल गांधी के बयानों और उनके ट्वीट्स की कड़ी निंदा करते हैं जिनके जरिए राहुल ने भारत-चीन सीमा विवाद से निपटने को लेकर हमारी सेना और सरकार पर सवाल उठाए हैं।'

राहुल को नेहरू की बड़ी गलतियों की दिलाई याद
बयान में कहा गया, 'उनके (राहुल के) बयान हमारे राष्ट्रीय हितों के लिए काफी नुकसानदायक हैं। राहुल गांधी और कांग्रेस के अन्य नेताओं ने अतीत में भी भारतीय सशस्त्र बलों के ग्राउंड और एयर स्ट्राइक पर सवाल उठाया था।' उन्होंने पूछा, 'क्या राहुल गांधी नहीं जानते हैं कि नेहरू ने तिब्बत को प्लेट में सजाकर चीन को सौंप दिया था और चीन ने अक्साई चीन में सड़कें बना लीं, बाद में इस पर तब कब्जा कर लिया जब नेहरू प्रधानमंत्री थे?'

पूर्व आर्मी अफसरों का कांग्रेस पर बड़ा हमलारिटायर्ड आर्मी अफसरों ने सीमाई इलाकों में आधारभूत सैन्य ढांचे के अभाव के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि जिस पार्टी ने भारत पर सबसे लंबे समय तक शासन किया, वही बॉर्डर इन्फ्रास्ट्रक्चर डिवेलपमेंट को नजरअंदाज करने की सीधा-सीधा दोषी है। उन्होंने कहा कि विपक्षी दल कांग्रेस को राष्ट्रीय सुरक्षा और संप्रभुता के मुद्दों पर संवेदनशील और सहयोग की भावना दिखाने की दरकार है।

सरकार की रणनीति की सराहना
पूर्व सैन्य अफसरों ने कहा कि विपक्ष को चीन के साथ सीमा विवाद का हल निकालने में सरकार के साथ खड़ा होना चाहिए। इसके उलट किसी भी तरह की कोशिश माफी के लायक नहीं होगी क्योंकि ऐसी कोशिशें राष्ट्रीय हितों के खिलाफ हैं। रिटायर्ड आर्मी अफसरों के इस समूह ने इस बात के लिए सरकार की सराहना की कि वो बॉर्डर एरियाज में तेजी से इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार करने को प्रतिबद्ध दिख रही है जो 1962 के चीन युद्ध के बाद से नहीं हुआ जबकि युद्ध के बाद भारत को अपनी ताकत बढ़ाने की दरकार थी। उन्होंने कहा, 'भारत सरकार बहुत चतुर कूटनीतिक पहल का सहारा ले रही है, साथ ही सीमा की सुरक्षा में लगे हमारे सशस्त्र बलों का भी मनोबल बढ़ा रही है।'

राहुल ने पूछा, क्या लद्दाख में चीन ने हड़प ली हमारी जमीन?
गौरतलब है कि राहुल गांधी ने सोमवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बयान पर सवाल उठाया था। शाह ने कहा था कि पूरी दुनिया मानती है कि अमेरिका और इजरायल के बाद भारत ही ऐसा देश है जो अपनी सीमा की सुरक्षा को लेकर सक्षम है। उन्होंने कहा था कि भारत की रक्षा नीति को वैश्विक स्वीकार्यता मिली है। इस पर राहुल गांधी ने शायराना अंदाज में सवाल कर डाला। इस पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी शायराना अंदाज में ही कटाक्ष किया तो राहुल ने रक्षा मंत्री से यह पूछ डाला कि क्या लद्दाख में चीन ने भारत की जमीन हड़प ली है?

सामने आईं असली अनामिका शुक्ला, बोलीं- मेरे डॉक्युमेंट्स से नौकरी, मैं हूं बेरोजगार

आज की दिल्ली / इंडियन न्यूज़ ऑनलाइन :



गोंडा उत्तर प्रदेश में बीते एक सप्ताह से चर्चा में रहीं अनामिका शुक्ला (Anamika Shukla Teacher) मंगलवार को सामने आ गई हैं। यूपी के गोंडा जिले की रहने वालीं अनामिका शुक्ला ने किसी भी जिले में नौकरी नहीं की है, और वह आज भी बेरोजगार हैं। मंगलवार को गोंडा में बेसिक शिक्षा अधिकारी के सामने आईं अनामिका शुक्ला नामक महिला ने दावा किया कि वह कहीं नौकरी नहीं कर रही हैं, बल्कि उनके शैक्षिक अभिलेखों (Anamika Shukla Documents) का दुरुपयोग कर फर्जीवाड़ा किया गया है।
शुक्ला ने बेसिक शिक्षा अधिकारी डॉ. इंद्रजीत प्रजापति को अपने मूल अभिलेख दिखाते हुए कहीं भी नौकरी न करने का दावा किया है। उन्होंने कहा कि कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय में विज्ञान शिक्षक के लिए सुलतानपुर, जौनपुर, बस्ती, मिर्जापुर व लखनऊ में 2017 में आवेदन किया था, लेकिन न तो काउंसिलिंग में हिस्सा लिया और न ही कहीं नौकरी ही कर रही हैं। बीएसए ने बताया कि अनामिका शुक्ला की ओर से इस आशय का शपथ दिया गया है कि उनके शैक्षिक अभिलेखों को फर्जी ढंग से इस्तेमाल किया गया। उन्होंने शपथ पत्र में लिखा है कि मीडिया में मामला देखा तो मंगलवार को सच्चाई अवगत कराने के लिए यहां आईं।

दस्तावेजों का गलत इस्तेमाल का आरोप

बीएसए डॉ. इंद्रजीत प्रजापति ने बताया कि अनामिका शुक्ला आई थीं। उन्होंने मूल अभिलेख प्रस्तुत किया। शैक्षिक अभिलेखों के दुरुपयोग के मामले में उनको एफआईआर कराने के लिए कहा गया है। शुक्ला ने कहा है कि उनके शैक्षिक अभिलेखों का गलत इस्तेमाल कर इस मामले में पकड़ी गई युवती ने अलग-अलग जगहों पर नौकरी हथियाने का काम किया है। उसने आशंका जताई है कि इसके पीछे एक बड़ा रैकेट हो सकता है। अनामिका शुक्ला का मायका गोंडा के भुलईडीह में है। 2013 में पिता सुभाष चंद्र शुक्ल ने उनकी शादी धानेपुर के दुर्गेश शुक्ल के साथ कर दी थी। वर्तमान में वह ससुराल में रह रही हैं। उनको एक लड़की व एक लड़का है।

पढ़ाई में कुछ ऐसी थी अनामिका
अनामिका ने 10वीं की परीक्षा 2007 में फर्स्ट डिविजन ऑनर्स के साथ पास की थी। उन्होंने गोंडा जिले की रेलवे कॉलोनी स्थित के बालिका इंटर कॉलेज से पढ़ाई की थी और उनका रोल नंबर 1933977 था। 10वीं के 6 में से 5 सब्जेक्ट में उन्होंने डिक्टेंशन यानी 75 फीसदी से ज्यादा नंबर हासिल किए थे। इसी तरह 12वीं की परीक्षा भी उन्होंने यूपी बोर्ड से गोंडा जिले के SMJSIC से पास की थी। यह कॉलेज गोंडा के परसपुर इलाके में स्थित है। 12वीं का इम्तिहान भी उन्होंने फर्स्ट डिविजन ऑनर्स के साथ पास की थी।


लाखों रुपये का किया गया हेरफेर
अनामिका ने साल 2012 फैजाबाद जिले की डॉ. राम मनोहर लोहिया अवध यूनिवर्सिटी से बीएससी की परीक्षा फर्स्ट डिविजन से पास की। उन्होंने बीएससी की पढ़ाई इस यूनिवर्सिटी से जुड़े गोंडा के सिविल लाइंस इलाके के रघुकुल महिला विद्यापीठ डिग्री कॉलेज से की थी। अनामिका ने साल 2014 में बीएड किया था। बीएड की पढ़ाई उन्होंने अवध यूनिवर्सिटी की ओर से संचालित अंबेडकरनगर जिले की टांडा तहसील की जियापुर बरुआ इलाके के आदर्श कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय से की थी। इस परीक्षा में भी वह अव्वल रहीं। अनामिका ने साल 2015 में यूपी टीईटी को क्वालीफाई किया था।

'न जॉइन किया, न किया काम लेकिन...'बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी ने मंगलवार को बताया कि बागपत के बड़ौत में कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय में अध्यापिका अनामिका शुक्ला के कुल 25 स्कूलों में कार्यरत होने और उन्हें एक करोड़ रुपये वेतन का भुगतान होने की बात सामने आई है। जांच में यह तथ्य सामने आया है कि अनामिका शुक्ला के दस्तावेज का इस्तेमाल करके वाराणसी, अलीगढ़, कासगंज, अमेठी, रायबरेली, प्रयागराज, सहारनपुर और अंबेडकरनगर में अन्य जगहों पर अन्य लोगों ने नौकरी हासिल की है। उन्होंने कहा कि हालांकि उनमें से किसी ने कहीं पर जॉइन नहीं किया, कई जगहों पर नियुक्ति लेकर काम नहीं किया। कुल मिलाकर छह विद्यालयों के माध्यम से अनामिका शुक्ला के दस्तावेज पर नियुक्त हुई शिक्षिकाओं को 12 लाख 24 हजार 700 रुपये का भुगतान हुआ है।