Sunday, February 12, 2023

दिल्ली के रोहिणी जापानी पार्क मैदान में हुआ ऑनलाइन सत्संग, भंडारा


 -संगत को लंगर में मटर-पनीर की सब्जी व रोटी के साथ बर्फी का मिला प्रसाद 

दिल्ली। रविवार को नशे सहित सामाजिक कुरीतियों को उखाड़ फेंकने के लिए एक साथ लाखों लोगों ने अनूठा संकल्प लिया। इसके साथ ही अपने मुर्शिद ए कामिल  के प्रति समर्पण, अटूट श्रद्धा और विश्वास का संगम भी देखने को मिला। अवसर था दिल्ली रोहणी के जापानी पार्क मैदान में आयोजित डेरा सच्चा सौदा के दूसरे गद्दी नशीन पूजनीय परम पिता शाह सतनाम जी महाराज के पावन महा रहमोकर्म माह के 'एमएसजी भंडारा' कार्यक्रम का। जिसमें दिल्ली व आसपास के क्षेत्र से पहुंचे लाखो डेरा अनुयायियों के समक्ष प्रबंधन द्वारा किए गए सारे प्रबंध छोटे पड़ गए और रूहानी सत्संग कार्यक्रम शुरू होने से पहले ही पूरा पंडाल साध-संगत से खचाखच भर गया । इतना ही नहीं आलम ये था कि सड़कोंं पर डेरा श्रद्धालुओं के वाहनों का काफिला रेंगता नजर आया तथा यह क्रम सत्संग समाप्ति तक अनवरत जारी रहा। इस कार्यक्रम में पूज्य गुरु संत डा. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने उत्तर प्रदेश के शाह सतनाम जी आश्रम बरनावा से पावन भंडारे पर वर्चुअली रूहानी सत्संग फरमाया। और दिल्ली रोहिणी जापानी पार्क से ऑनलाइन  पूज्य गुरु जी ने डेरा सच्चा सौदा द्वारा चलाई जा रही नशा मुक्त देश अभियान के तहत लोगों को नशा व सामाजिक कुरीतियों से दूर रहने की शपथ दिलाई। वहीं सत्संग कार्यक्रम के दौरान पूज्य गुरु जी के एक मात्र आह्वान पर ना केवल लोगों ने नशा बेचने से तौबा की बल्कि कार्यक्रम में पहुंचे अनेक गणमान्य जनों ने भी पूज्य गुरु जी की नशा मुक्त देश मुहिम में पूरा सहयोग देने का विश्वास दिलाया। इससे पूर्व 11 बजे धन-धन सतगुरु तेरा ही आसरा का इलाही नारा लगाकर पावन भंडारा कार्यक्रम की शुरूआत की गई। जिसके पश्चात कविराजों ने अनेक सुंदर भजन वाणी के माध्यम से साध-संगत को झूमने पर मजबूर कर दिया। सत्संग पंडाल में बड़ी-बड़ी एलईडी स्क्रीनें लगाई गई। जिनपर पूज्य गुरु जी के रूहानी वचनों को सुनकर साध-संगत निहाल हुई। पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने रूहानी सत्संग को संबोधित करते हुए फरमाया कि संत सच्चा कौन सा होता है? संतों का काम क्या होता है? संत किसलिए दुनिया में आते हैं? संतों का मकसद क्या होता है इस समाज में आने का, इस धरती पर आने का? संत-जिसके सच का कोई अन्त ना हो, सन्त-जो सच से जुड़ा हो, संत, जो सदा सबके भले की चर्चा करे, सन्त-जो सबकुछ त्याग कर सिर्फ और सिर्फ ओउम, हरि, अल्लाह, वाहेगुरु, राम की औलाद का भला करे, सन्त-जो सच्ची बात कहे, चाहे कड़वी लगे या मीठी लगे, सन्त-जो सच से जोड़ दे और सच क्या है, ये भी सन्त बताए, कि भाई ओउम, हरि, अल्लाह, वाहेगुरु, राम, गॉड, खुदा, रब्ब सच था और सच ही रहेगा। उसको छोड़कर चन्द्रमा, सूरज, नक्षत्र, ग्रह, पृथ्वी जितना भी कुछ नजर आता है, जो कुछ भी आप देखते हैं सबने बदल जाना है और जो बदल जाता है, उसे सच नहीं कहा जा सकता। सच तो वो ही है जिसे एक बार सच कह दो तो हमेशा सच ही रहता है। तो सन्तों का काम सच से जोड़ना होता है। सन्त हमेशा सबका भला मांगते हैं। सन्त ना छोड़े संतमयी, चाहे लाखों मिलें असन्त, सन्तों का काम सन्तमत पर चलना होता है, सबको बताना कि ओउम, हरि, अल्लाह, वाहेगुरु, राम, वो ओउम वो दाता आपके अन्दर है, उसको देखना चाहते हो तो आप भला करो, मालिक के नाम का जाप करो तो आपके अन्दर से ही वो नजर आ जाएगा।

पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि लोग परमपिता-परमात्मा को, उस ओउम, हरि, अल्लाह, गॉड, खुदा, राम को पाने के लिए, उसे ढूंढने के लिए जंगलों, पहाड़ों, उजाड़ों में जाते हैं, शायद अज्ञानवश या कोई रिद्धि-सिद्धि के लिए, शायद वैराग्य में, त्याग में भगवान के लिए जाते हों तो कितनी हैरानीजनक बात है कि आप उसे बाहर ढूंढ रहे हो और वो आपके अन्दर बैठा राम आवाज दे रहा है कि अरे मैं तो कण-कण में रहता हूँ तो तेरा शरीर भी उसी कण में आ गया, मैं तेरे अन्दर हूँ, अन्दर से ढूंढ तुझे जरूर मिल जाऊंगा। पर अन्दर उस परमपिता परमात्मा को पाने के लिए अपने विचारों का शुद्धिकरण करना होगा। अपने ख्यालों का शुद्धिकरण करना होगा। पाखंडवाद, ढोंगे, ढकोसले कभी भी इन्सान को परमात्मा से नहीं मिलाते। बहुत सारे पाखंड हैं, बहुत सारे ढोंग हैं, जिसमें समाज उलझकर रह गया है। दिनों का चक्कर पड़ गया। कोई कहता है फलां दिन अच्छा है, कोई कहता है कि नहीं, फलां दिन अच्छा है। अरे भगवान ने, परमात्मा ने दिन-रात बनाए हैं, ताकि इन्सान कहीं लोभ-लालच में आराम ही ना करे और इसका दिमाग रूपी पुर्जा हिल जाए, इसलिए दिन-रात बना दिए, समय बना दिया और हमारे ही पूर्वजों से समय की गणना करवाकर ये बता दिया कि 24 घंटे हैं, आठ पहर हैं, जो भी उन्होंने बताया। ताकि सही समय पर आदमी सो जाए और सही समय पर उठकर काम-धंधे पर लग जाए। तो परमपिता परमात्मा ने कोई दिन, कोई तारीख बुरी नहीं बनाई है। जैसे कर्म करोगे फल लाजमीं भोगेगे। संत, दया-कृपा की बात करते हैं, क्योंकि भगवान कृपा निधान है, दया का सागर है, रहमत का मालिक है। इसलिए जो संत, पीर-फकीर होते हैं, वो परमपिता परमात्मा से जुड़े होते हैं, वो भी यही बात

कहते हैं। कोई भी उनसे कहेगा कि जी, मैं गलत कर्म कर बैठा, उनका काम होता है माफ कहना, क्योंकि जब तक वो वचन करते हैं कि ये एक हद है, कि आज के बाद मत करना, आप फिर भी वो ही चीज दोहराते हैं, तो संत तो माफ कर देंगे, लेकिन वो राम हो सकता है कर्मों का लेखा-जोखा लेगा। क्योंकि संत कभी किसी को बुरा कहते ही नहीं, ये तो इन्सान की मनघडंत बातें होती हैं, कितने भी संत, पीर-फकीर, गुरु साहिबान, महापुरुष आए हैं उन्होंने सच लिखा था, आज भी सच है और आने वाले समय में भी वो सच रहेगा।

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मेरे देश की जवानी गीत पर झूमा हर वर्ग

एमएसजी भंडारा कार्यक्रम के दौरान पूज्य गुरु जी द्वारा देशभक्ति व नशा के खिलाफ गाया मेरे देश की जवानी गीत का जादू भी हर वर्ग पर देखने को मिला तथा बच्चे, बुजुर्ग, युवा

व महिलाएं इस गीत पर थिरकती नजर आई। पूज्य गुरु जी के इस गीत का खुमार युवाओं के सिर पर इस कदर चढ़कर बोल रहा है कि गीत के व्यू विवर्सशिप का आंकड़ा रिलीजिंग के चंद दिनों में 10 मिलियन से अधिक  हो  चुका है। वहीं मुख्य स्टेज के समीप बनाई गई फूलों व रंगों की सुंदर रंगोली ना केवल लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर रही थी।

बल्कि समाज को एक सशक्त संदेश भी दे रही थी। रंगोली के माध्यम से जहां नशों पर चोट की गई। वहीं भारतीय संस्कृति और परंपरा को बचाने के लिए जागरूक कर रही थी। कार्यक्रम के दौरान स्थानीय कलाकारों ने पारंपरिक वेशभूषा में मनमोहक प्रस्तुतियां देकर सबका दिल जीत लिया।

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डेरा सच्चा सौदा के नाम दर्ज है 76 वर्ल्ड रिकॉर्ड

बता दें कि डेरा सच्चा सौदा के संस्थापक पूजनीय बेपरवाह साईं शाह मस्ताना जी महाराज ने 28 फरवरी 1960 को पूजनीय परम पिता शाह सतनाम जी महाराज को गुरु गद्दी की बख्शीश कर अपना रूप बनाया। पूजनीय साई जी के वचनानुसार शाह सतनाम जी महाराज ने देश के विभिन्न राज्यों में सत्संग कर लोगों को राम-नाम से जोड़ा। इस दौरान समाज में व्याप्त पाखंडवाद, जात-पात के भेदभाव को समाप्त कर लोगों को इंसानियत व प्रभु की सच्ची भक्ति का  पाठ पढ़ाया।  इसके पश्चात पूज्य गुरु संत डा. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां के मार्गदर्शन में पूरे विश्व में आज 152 मानवता भलाई के काम चलाए जा रहे है। साध-संगत द्वारा किए जा रहे पौधारोपण, रक्तदान, शरीरदान, नेत्रदान,  फूड बैंक,  आशियाना मुहिम सहित अन्य कार्यो में आज डेरा सच्चा सौदा के नाम 76 से अधिक वर्ल्ड रिकॉर्ड दर्ज है।

Saturday, February 11, 2023

दिल्ली में 12 को साध-संगत मनाएगी पावन एमएसजी भंडारा

 भंडारे को लेकर साध-संगत में खासा उत्साह, घर-घर जाकर दे रहे निमंत्रण

-- पूज्य गुरु जी यूपी आश्रम से साध-संगत को फरमाएंगे रूहानी वचन
63 जरूरतमंद परिवारों को 1 माह का राशन भी किया जाएगा वितरित

दिल्ली। दिल्ली प्रदेश की साध संगत 12 फरवरी रविवार को सच्चे दाता रहबर पूजनीय परम पिता शाह सतनाम जी महाराज के पावन महा रहमोकर्म माह का पावन 'एमएसजी भंडारा' जापानी पार्क एचपी पेट्रोल पंप के पीछे, रोहिणी दिल्ली, नजदीक ईएसआई डिस्पेंसरी में धूमधाम से मनाएगी। पावन एमएसजी भंडारे पर पूज्य गुरु संत डा. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां उत्तर प्रदेश के शाह सतनाम जी आश्रम बरनावा से ऑनलाइन गुरुकुल के माध्यम से साध संगत को संबोधित करेंगे। सत्संग का कार्यक्रम सुबह 11:00 बजे शुरू होगा। जिसमें पूज्य गुरु जी लोगो को नशे व सामाजिक बुराइयों को छोड़ने का संकल्प दिलाएंगे। पावन भंडारे को लेकर साध-संगत में खासा उत्साह देखा जा रहा है और राज्य कमेटी भंडारे कार्यक्रम की तैयारियों में जुटी हुई है। वहीं स्थानीय डेरा अनुयायियों में पावन भंडारे की खुशी में होने वाले रूहानी सत्संग को लेकर इस कदर खुशी का माहौल है कि वो घर-घर जाकर लोगों को कार्यक्रम में शामिल होने का निमंत्रण दे रहे है।
                   जिक्रयोग है कि डेरा सच्चा सौदा के संस्थापक पूजनीय बेपरवाह साईं शाह मस्ताना जी महाराज ने 28 फरवरी 1960 को पूजनीय परम पिता शाह सतनाम जी महाराज को गुरु गद्दी की बख्शीश कर अपना रूप बनाया। इसलिए इस महीने को डेरा सच्चा सौदा की साध-संगत एमएसजी महा रहमोकर्म माह के रूप में मनाती है। जिसमें डेरा सच्चा सौदा के श्रद्धालु 151 मानवता भलाई कार्यों को रफ्तार देकर जरूरतमंदों की मदद करते है।