"एक देश एक विधान' विषय पर आयोजित लाला पन्नालाल स्मृति व्याख्यान माला 8.0 में वक्ताओं ने आर्थिक, सामाजिक, न्याय व शिक्षा के क्षेत्र में पूरे देश में एक विधान लागू करने की वकालत की। श्रीराम जन्मभूमि न्यास ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष स्वामी गोविंददेव गिरी महाराज ने आज की लड़ाई को कानून की लड़ाई बताया और सचेत किया कि अमृतकाल में जो अनुकूलता देख रहे हैं, उसका उपयोग आवश्यक है। अगर नहीं कर पाए तो यह अवसर - दोबारा मिलेगा या नहीं, यह पता नहीं। इसलिए इस समय सावधान रहने की आवश्यकता है। सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने कहा कि भारत धर्म निरपेक्ष नहीं, धर्मनिष्ठ राष्ट्र है। व्याख्यान में गोविंददेव गिरी जी महाराज ने बताया की हमारी शिक्षा पद्धति खत्म - करने के लिए अंग्रेजों ने देश में पहला कानून बनाया। इसके बाद धीरे-धीरे ऐसे कानून बनते गए, जिसके जाल में हम फंसते चले गए और गुलामी हमारे ऊपर इतनी छा गई कि हमें गुलामी का ही पता नहीं चला। अश्विनी उपाध्याय ने 80 प्रतिशत समस्याओं के लिए देश की घटिया कानून व्यवस्था को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि देश को पीछे ले जाने वाले कानून को बदलने की आवश्यकता है और देश में एक विधान जरूरी है। एक देश एक नागरिक संहिता, समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू होने पर धार्मिक व सामाजिक कुरीतियां खत्म हो जाएंगी। पूरे देश में शिक्षा व कानून व्यवस्था में बदलाव की जरूरत है। दसवीं कक्षा तक एक पाठ्यक्रम, झूठ को दंडनीय अपराध बनाने, गुलामी के प्रतीक हटाने के लिए री-नेमिंग कमीशन बनाने, पूजास्थल कानून बनाने को देश की जरूरत बताया। समारोह में लाला पन्नालाल स्मृति व्याख्यान माला 7.0 की पुस्तक का भी विमोचन किया गया। कार्यक्रम का संचालन कवि राजेश चेतन ने किया। कार्यक्रम में जगदीश मित्तल, संजीव गोयल, पवन कंसल, विष्णु गुप्ता, प्रकाश चंद जैन, राजेंद्र जैन, दिनेश कुमार गुप्ता आदि गणमान्य लोग मौजूद रहे। कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए श्री राजकुमार अग्रवाल, श्री जेएस गुप्ता, श्री एन आर जैन, श्री भारत भूषण अलाबादी एवं श्री अशोक बंसल जी का विशेष रूप से योगदान रहा।
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